बुधवार, 20 जुलाई 2016

घुरवा के दिन घलाेक बहुरथे

सुरेश सर्वेद


        हलकू शहर ले लहूटगे. ओकर कर अब लबालब सम्पत्ति होगे रिहीस.धन दौलत के कारण अब गांव वाले मन ओला भरपूर मान सम्मान दे लगिन.जेन गांव वाले ओला देख के कन्‍नी काटय ,हलकू कहि के बलाय .उहू अब हलकू के नाव ले बर हिचकिचाये लगीन। 
            ये उही हलकू आवय  जेन कुछ बरस पहली गांव के छोटे किसान रिहीस । एक समय  नील गाय  मन इंकर खेत के फसल ल नास कर दिस त एकर पत्नी मुन्‍नी हर गुस्सा के किहिस - इहां हर बरस इही हाल होथय , फसल नास होथय .साहूकार मन के करजा नई छूटाए । ऊपर ले अउ करजा चढ़ जाथय । ऐकर ले बने , शहर जाके कमातेन - खातेन । दू पइसा बचातेन घलोक.....।''
       मुन्नी के सलाह हलकू ल जमगे। हलकू मुन्नी के बात ल स्वीकारत किहीस - तयं सिरतोन कहत हस। शहर मं कइसनो करके दू बेरा के रोटी मिल जाही। इहां पूस  रात मं जाड़ सहत परान निकल जही।''
       दूसर दिन ओमन शहर जाए बर निकलगे। ओमन सही बेरा मं रेल्वे स्टेशन पहंच गीन। जबरा घलक उंकर संग आए रिहीस। रेलगाड़ी छूटे के बाद ओहर लहुटगे रिहीस, उदास .... निरास ...।
       हलकू शहर के चकाचौंध ल देख के अकबकागे।  ओहर अभी तक टूटहा  - फूटहा खपरैल के मकान ल देखे रिहीस। गाड़ी के फिसलत चक्का ल देख के ओहर सोचिस - हम मन बने करेन, जउन जबरा ल संग म नइ लायन। ओहर गाड़ी के फिसलत चक्का मं आ के रउंदा जतिस त पाप हमला भोगे ल परतीस....।''
       हलकू अउ मुन्‍नी ल काम मिले म देरी नइ लगिस। ओमन भवन बनाए के काम पागे । उंकर कमई दिन दूनी रात चउगुनी बाढ़ते गीस । जीवन में सुख आते गीस । हलकू के मान मर्यादा बाढ़ते गीस। पहली हलकू दूूसर ठेकेदार मन के काम करय । अब ओहर खुद ठेकेदार बनगे। हलकू के आमदानी बढ़गे। अब मुन्‍नी घर म महारानी कस रहय  लगिस । पइसा के कमइ म उकंर रहन - सहन घलोक बदलगे। अब हलकू फूलपेंट सफारी पहनन लगिस अउ मुन्‍नी ऊंचहा लूगरा।
       हलकू मेर टी.वी.,कूलर,सोफा,फ्रीज,मोटर साइकिल गैस सिलेन्डर,अउ आधुनिक सबे सुख के साधन होगे। अब ओमन ल झोपड़पट्टी म रहवई खाय लगिस। ओमन कालोनी म किराया लेके रहय  लगिन। उहू मं अइसन कालोनी मं जिंहा रइस मन रहय । उहां के माइ लोगन मन संग मुन्‍नी के जान पहचान बाढ़गे ।
       एक दिन मुन्‍नी हर परोसी हरजीत कौर के घर मं बंटी नाव के विदेशी नस्ल के कुकुर देखिस । ओला अपन जबरा के सुरता आगे । पर ओहर उंहा जबरा के बारे मं नइ गोठियाइस । जबरा के बारे मं गोठियाये मं ओकर प्रतिष्‍ठा  मं आंच  आतिस। संझा बेरा जइसे हलकू लहूटिस । मुन्‍नी हर ओकर आगू म बंटी के ऐसे गुनगान करिस कि दूसर दिन हलकू हर एक ठन कुकुर धर लइस, वहू मं विदेसी नस्ल के । ओमन ओकर नाम टीपू रख दीन।
       टीपू निकलिस बड़ नखरेबाज। दिन भर ओहर घर मं धूम मचावै। मुन्‍नी ल खूब मजा आवै । ओहर ओकर संग खेले लग जावै।. टीपू जे डहर दउड़य ,मुन्‍नी ओकर पाछू भागय, अउ ओला उंचा के अनगिनत चुमा दे दे डारे। हलकू घलोक काम ले लहूटते सांठ टीपू के पाछू भीड़ जावै।. ओला खंध मं बैठावै ,छाती मं लगावै। दुलारे - पुचकारे ।
       सुख -सुविधा बढ़े  के साथ मुन्‍नी के भीतर आलस समाय  लगिस । ओहर एक झन काम वाली रख लीस। अब काम वाली जेवन बनाना छोंड़ सब काम करे लगीस। मुन्‍नी मेर समय  च  समय  रहय  लगिस । समय  काटे खातिर ओहर एक ठन क्‍लब के सदस्यता ले लीस।
       जेन दिन मुन्‍नी सदस्यता लीस, ओ दिन ओहर बिक्‍कट खुस रिहीस । ओला रात मं ढ़ंग से नींद घलोक नइ अइस। रात भर ओहर क्‍लब के बारे मं सोचत रिहीस। मुन्‍नी रोज क्‍लब के बारे मं परोसी ले सुनै। .सुन - सुन के ओकर मन घलोक क्‍लब जाए के होवय । आखिरकार ओहर अपन इच्छा ल  पूरा करै  खातिर सदस्यता ले लीस।
       पहिली दिन मुन्‍नी सहमे - सहमे रिहीस । ओहर उंहा के एक - एक गतिविधी ल जांचे परखे लगीस । मुन्‍नी चकाचौंध देख के झिझकत रिहीस । मुन्‍नी गांव के महिला रिहीस। अइसन वातावरण ओहर कभू नइ देखे  रिहीस । धीरे - धीरे ओकर झिझक मिटावत गीस । एक अवसर अइसन अइस कि  ओहर सब संकोच  ल बिसरगे।
       समय  अपन धूरी म चलत रिहीस।
        एक रात हलकू , मुन्‍नी के आगू मं गांव जाए के बात किहीस। मुन्‍नी तुरते मानगे। मुन्‍नी के आंखी म ओ महिला मन झूलगे , जेन मुन्‍नी के खपत शरीर ल देख ओकर बर दया मरय। उंकर गरीबी मं तरस खावै  अउ सांत्वना दे।
       एक दिन हलकू अउ मुन्‍नी शहर छोड़ गांव आ गे।
       जेन दिन ओमर अपन गाँव अइन, उंकर संग ढेर सारा समान रिहीस। रुपिया - पइसा रिहीस। गाँव वाले मन ट्रक ले उतरत समान ल देख के अकबका गे रिहीन। जेने समान ट्रक ले उतरय, गाँव वाले मन के आँखी ओला देखे बर उही मं गढ़ जाएं। हलकू सीना ताने समान ल उतरवाए अउ गाँव वाले मन डहर ल देखय। अभी समान उतरते रिहीस के जबरा कोनो डहर  ले लहसत - दउड़त अइस। जबरा हलकू ल सुंघयाय  लगीस। हलकू के फूलपेंट मं थोरिक दाग लग गे। ओहर गुस्सा के जबरा ल दुत्‍कार दीस। जबरा एक बार हलकू ल टकटक ले देखिस अउ लहसत मुन्नी कोती दउड़गे। जबरा देखिस - मुन्नी अपन छाती मं एक ठन कुकुर ल चिपकाए हवय। जबरा मुन्नी ल सुंघे लगीस। ओला मुन्नी के घलक दुत्कार मिलिस। जबरा दुरिहा छटक के खड़ा हो गे।
       मुन्नी के आजू - बाजू मं गाँव के महिला मन ठाड़े रिहीन। ये महिला मन मुन्नी पर तरस खाय, मुन्नी ल अब ओ महिला मन बर तरस आए लगीस।
       कुछ दिन बाद हलकू के घर मं बिजली लग गे। हलकू रंगीन टी.वी. लाए रिहीस। ओहर चालू होगे। गाँव वाले मन रंगीन टी.वी. देखे बर ओकर घर आए लगीन। अब हलकू के घर अइसन लोगन मन भी आए लगीन जउन हलकू से संबंध रखे बर कतराए।
       हलकू अउ मुन्नी के व्यवहार जबरा ल चुभगे। ओ समझ नइ पइस के जेन हलकू ओकर बिना एक घड़ी नइ रहाय, ओहर कइसे बदलगे। जबरा खाना पीना तियाग दीस। ओहर दिन भर बइठे हलकू के घर डहर ल देखय। कभू - कभू मुन्नी ओला फेंक के रोटी दे दे। उहू ल जबरा नइ खावै। जबरा के सरीर जर्जर होते गीस। अउ एक दिन हलकू ल खबर मिलिस के जबरा मरगे...।
       खबर सुनते सांठ हलकू अपन खेत डाहर दउड़िस। जबरा अपन परान ल उही जघा मं तियागे रिहीस जउन मेर जबरा अउ हलकू पूस के रात ल काटै। आगी ले पार कुदै । बीते दिन के सुरता मं हलकू के आंसू निकलगे। तीन - चार दिन तक हलकू ल जबरा के सुरता सताइस अउ ओकर बाद भुलागे ....।
       हलकू के किराना दूकान चल पड़िस। सहना के दुकानदारी मार खाय लगिस। सहना करजा मं बुड़त गीस एक अवसर अइसनों अइस कि सहना ल हलकू तीर उधारी मांगे ल जाए ल पड़गे । सहना ल देखके हलकू ल ओ दिन के सुरता आ गे,जब हलकू छोटे किसान रिहीस अउ सहना ले उधारी ले रिहीस । करजा नइ पटाय  के कारण दस ठन बात सुना दे रिहीस। हलकू के मन म एक बार अइस - सहना ल दुत्कार के भगा देवव । पर ओहर अइसे नइ कर पइस। ओहर सहना ल उधारी दे दीस ::::::।

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