रविवार, 10 जनवरी 2016

फुटहा छानी

सुरेश सर्वेद

            गांव भर चरचा च ले लगिस. अब पंचाइती चुनाव म सरपंच महिला ल चुने जाही. कोन अपन माई लोगन ल चुनाव म उतारही, दिन – रात इही बात होय लगिस. कम पढ़े लिखे गांव म जइसे माईलोगन ल चूल्हा फुंकइया अउ कोरा म बंस बढ़हइया के संग कोरा म लइका खेलइया समझे जाथे ये गांव, उही गांव के श्रेणी म आये. गांव म बइसका होय अउ कोन चुनाव लड़ही ये गोठ आये अउ जाये पर निणर्य नई होय पाय . काबर के कोनो मरद बइठका म अपन घरवाली ल चुनाव म खड़े करे के बात नई करय . खिलावन बिन बलाय बइठका म आवय अउ मने मन कामना करय के ओ बेरा कभू मत आये जब कोनो गांव के मरद उठके के कहे कि ओकर माईलोगन चुनाव लड़ही. ओकर मंशा अपन माईलोगन ल चुनाव लड़ाय के रिहीस. पर बइठका म ऐकर सेती फुरिया नई सकय के ओला गांव म आये अभी जुम्मा – जुम्मा एक बरिस होय होही.दुसंधा म रहय कि गांव वाले मन ओकर बात ल मानिस के नई मानिस. इही उधेड़बुन म ओहर अपन बात नई रख पात रिहीस. ओहर चाहत रिहीस के गांव वाले मन खुद होके ओला कहाय . पर गांव वाले मन के कहना तो दूरिहा के ओकर डहर हिरक के नई देखय . देखतिन भी काबर ओहर बाहिर ले आये हे अउ गांव के जिम्मेदारी ओला संउपे के कइसे बिचार गांव वाले मन करतीन . पुराना सरपंच घलोक सुधवा. अपन सियानी के दिन म कभू दू पइसा के गबन नई करिस. गांव के बिकास म जतका हो सकीस करे के परयास करिस. एक दिन के बइठका म ओकर माई लोगन ल सरपंची चुनाव म खड़ा कराय के बात अइस पर पुराना सरपंच कहे लगिस – मोर बाई कम पढ़े लिखे हे. पंचाय त म लाखों रूपिया के काम आथे, मंय तो जइसे तइसे च ला लेत रहेवं फेर बाई कर पाही ऐमा मोला संदेह हे. अउ फेर आजकल जनपद के बाबू भइया म खांव – खांव करथे. एक – एक काम म कमीशन मांगथे. मंय तो लड़ झगर लेत रहेंव पर डौकी परानी का करही.
            पुराना सरपंच के बात ल गांव वाले मन सुनके कहिन – तोर बाई नाव के सरपंच रही. काम बूता ल तंय करबे.
          गांव वाले मन के सलाह घला पुराना सरपंच ल नई जमिस. पढ़े – लिखे सरपंच के बात आते ही खिलावन के मुंह म पानी आय लगिस. ओहर मने मन बिचारे लगिस के गांव वाले मन जानतेच हे के ओकर बाई पढ़े लिखे हे. ओ चाहे लगिस के कोनो उठे अउ ओकर बाई के नाव धरदे. पर ओकर डहर ले गांव के गांव बेखर रिहीन.
            अब तो दिन अउ रात कोनो बेरा अइसन नई रिहीस जब माई लोगन के ये चुनाव म सरपंची चुनई के बात नई च लत रिहीस होही. जहां दू झन आदमी सकलाय बस एके च रचा कोन अपन माई लोगन ल चुनाव म खड़ा कराही ?
            पीपर के पेड़ तरी बने च उंरा म बइठे हिरामन गोठयाय अउ बीच – बीच म सुकदेव हुंकारू भरय .अब गांव डउकी सियानी म च Jही . सरकार J घJा पता नई का – का होवत रहिथे. कते – कते कर ले निय म कानून लाथे अउ सउप देथे हमला भोगे बर. जब डउकी परानी गांव के सियानी करही त घर के च उका – चूल्हा कोन देखही. कोठा के गोबर कोन हेरही. गोबर के छेना कोन थोपही ?
– आज समय बदल गे हे हिरामन, कब तक माइलोगन मन घर बइठे रहही ? सरकार जउन करथे, सोच – समझ के करथे जी ।
– तोर गोठ ल मंय मानव हंव पर जब माइलोगन गांव के सियानी करही, तब घर परिवार कते डहर जाही ?
– तंय शहर के माइलोगन मन ल देखेच हस हिरामन । ओमन नउकरी – चाकरी करथे अउ अपन घर परिवार ल घला सकेलथे ।
– तंय सिरतोन कहत हस संगवारी, मोर मति मारे गे रिहीस …।
            हिरामन अउ सुकदेव के जोड़ी ल का कहिबे. नानपन म दूनों जउन संगवारी बनीन ओला अब तक निबाहत हे. दुनों के जोड़ी ल टोरे के जलनखोरहा मन कई उपाय करिन. परपंच रचि न पर उंकर जोड़ी नई टुटिस. अब तो उमर साठ ले पार करले हे अउ नानपन ले एको दिन अइसन नइ गिस होही जब दूनों संगी अलग होय होही. कोनो गांव जाना रहय त दूनों संगे जाय . चाहे सुकदेव के सगा घर बर बिहाव, मरनी – हरनी के काम कारज राहय या फेर हिरामन के सगा घर. जवानी के दिन म जतका उतलंई ओमन करिन होही ओतका कोनो अउ करे होही अइसन सुने ल गांव म नई मिलिस. चाहे तरिया म डूबक – डूबक के नाहय के होय या फेर भैरी के बारी ले बिही – खिरा चोरय के होय .
            अभी उंकर मन के बाताचीता च लत रहिस के साय कल म नरोतम आवत दिखिस. नरोतम सुकलिया के गोसइया ये. नरोतम चार कक्ष्ाा पढ़े के बाद पढ़ई ल छोड़ नांगर – बख्खर के काम काज म जोतागे. ओकर बाई सुकलिया दसवीं कक्ष्ाा तक पढ़े रहय . पर कभू अइसन नई लगिस के सुकलिया ल अपन पढ़े लिखे के गरब गुमान होही. बड़े ल बड़े अउ छोटे ल छोटे माने म कभू अनाकानी नई करिस. अइसन बेरा घला कभू नई आइस जब ओकर संग कोनों माई लोगन के लड़ई – झगरा होय होही. दसवीं पढ़े के बाद भी ओहर गांव के रंग म रच बसगे. नरोतम उंकर कर अइस. साय कल ल ठाड़ कर कहिस – का गुनतारा च लत हे दुनों संगवारी म ?
– अरे नरोतम, तंय कहां ले आवत हस बाबू , आ बइठ. हिरामन कहिस.
– नहीं बबा, मोला बड़ बेर होगे घर ले निकले . गाय गरू ल पेरा भूंसा दे के बेरा होगे हे. फेर कभू बइठबो.
– हव रे भई, हमन तो होगेन ठेलहा, तंय कमइया. काबर समे खराब करबे हमर मन तीर.
– अइसन बात नोहे बबा,
– त अउ कइसन बात हे ? हिरामन तिखारिस.
– तहूं अतका ल नई जानस हिरामन. बड़ बेर घर ले निकले हे बिचारा. काम धाम नई करही त बहू ठठाही नहीं. अउ दुनों संगी हंसे लगिन. नरोतम – तहूं न बबा कहत साइकल के पइडिल ल ओंट आगू डहर बढ़गे.
हिरामन अउ सुकदेव के बात फेर च ले लगिस.
            दिन सरकते गिस अउ चुनाव बर परचा भरे के दिन लठियाते गिस. गाँव म फेर बइठका होइस. कोनो अपन माइलोगन ल चुनाव म उतारे बर तियार नई होइस. खिलावन समे के ताक म रहिस. कोतवाल समे कहिथे – हमर मेर जादा दिन नई हे. कोनो न कोनो ल परचा भरवाये के निरनय ले ल परही. नई ते हमर गाँव म सरपंच चुनई म देरी के साथ बिकास काम म घलो देरी होही.
            कोतवाल के बात सिरतोन रिहीस. बिन सियान के भला गाँव के समस्या सरकार तक कइसे पहुंच तिस अउ कइसे समस्या के निदान होतिस. पर इहां तो बिकट समस्या उपस्थित रहिस. कोनो ये कहे बर तियार नई रिहीस के मोर बाई हर चुनाव म उतरही. अभी गांव म बइठका च लते रहिस के गांव के समारू अउ जीवन अइन . ये दुनों के दिन कटे खिलावन के घर. इंकर माईलोगन मन पर के खेती म बनी भूती करे अउ बाल ब‚ा के साथ अपने गोसइयां के पेट घलोक पोसे. एक – एक चेपटी म अतका ताकत रिहीस के दुनों के दुनों खिलावन के परम भI बनगे रिहीन. खिलावन इही दुनों ल अपन पक्ष्ा म बोले बर तियार करे रिहीस. अउ आज बइठका म आ के ये दुनों अपन बात ल बकर डरिन. कहिन – हमर गांव म कोनो तियार नई होवत हे अपन बाई ल सरपंची चुनाव म उतारे बर ता काबर खिलावन के माइलोगन ल नई उतार देव चुनाव म.
            गांव भर के जुरायाये लोगन ल समझ आत देरी नई लगिस कि ये खिलावन के दारू बोलत हे. हिरामन तिलमिलागे. कहिस – खिलावन ल अभी जुम्मा – जुम्मा चार महीना होय हवे गांव म बसे अउ तुमन ऐकर माईलोगन ल गांव के सियानी सौंपे के गोठ गोठियाथो. ये गोठियाये के पहिली सोचो समझो काबर नई.
– तोर कहिना ठीक ये बबा, पर तहीं बता जब कोनो गांव के माईलोगन तियार नई हे चुनाव लड़े बर तब अउ का हमर मेर रद्दा हे. तहीं फुरिया, कोन अपन माई लोगन ल चुनाव म उतारे बर तियार हे ?
            हिरामन चुप होगे. नाव ले त ले आखिर काकर. कोनो तो मुंह फुटकार के कहत नई हे के मोर माईलोगन चुनाव म उतरही. गांव के सियानी करही. हिरामन कहिस – पराया ल सियानी सौपे के बजाय हम चाहत हन हमरे सियानी करे.
– पर कोन हे तेन ल तो बता बबा ?
– तुमन पर ल गांव के सियानी सौपे के जघा म अपन माईलोगन ल सियानी सौपे के काबर नई सोंच व ?
– पर हमर बाई तो पढ़े लिखे नई हे, सरपंची बिना पढ़े लिखे करही ता गांव के का होही, तहूं जानथस अउ महूं.
            बात सिरतोन रिहीस. जउन जतका जादा पढ़े लिखे रहिथे. ओहर ओतके अच्छा अधिकारी – मन संग बात करे ल जानथे अउ गांव के समस्या ल रखके ओकर निदान के उपाय सुझाथे. पर इहां दुनों दरूवाहा के माईलोगन मन तो एक कक्ष्ाा नई पढ़े रिहीस. इंकरो मुड़ मं गांव के सियानी देना मने अपन गांव के बिकास ल रोकना ये. दुनों दरूवाहा के बात ल सुनके खिलावन मंद – मंद मुसकाये लगिस पर हिरामन के अड़गा म ओला गुस्सा घलोक आये लगिस. पर करतीस ता करतीस का. एक डहर पूरा गांव रिहीस एक डहर खिलावन अउ ओकर दु पोसवा दरूवाहा. तीन झन से काम बनने वाला नई रिहीस. खिलावन तो च हत रिहीस – कम से कम आधा गांव ओकर पक्ष्ा म आ जाये फेर आधा ल बात माननेच ल परही. पर इहां आधा गांव तो दूरिहा के रिहीस. दू के सिवा तीसरा ओकर पक्ष्ा म नई रहिस. वइसे जब ले पचार् भरे अउ चुनाव होय के च चार् गांव म होय लगिस तब ले खिलावन सक्रिय होगे रहिस अउ गांव के अइसन कोनो आदमी नई होही जेन ल अपन जाल म फांसे के परयास नई करिस होही पर गांव वाले मन ओकर दारू तो पीगे पर ये दूनों दरूवाह के बाद तीसरा कोनो ओकर जाल म नई फसीस. गांव म जतका बेर बइठका होइस, कोनो ओकर पक्ष्ा नई लिस. अब तो निरनय के घड़ी तिरयागे रिहीस. अपन बात ल अपन मुंह न रखके दूनों दरूवाहा के द्वारा रखना उचि त समझ ओहर तीन दिन ले ओमन ल अतका पीयात हे के गांव में बिरोध के बावजूद ओमन अपनेच बात में अड़े रहय संगे संग गांव वाले मन ल भी अपन बात माने बर तियार करले. खिलावन जतका आसान बात बने के सोच त रहिस ओतका आसान नई होत रहिस. घुम फिर के बात घेरीबेरी अपनेच गांव के माईलोगन ल चुनाव म उतारे के आ जाय .
            अभी गुनताड़ा च लत रिहीस. उही बेरा नरोत्तम अइस. नरोत्तम ल देखके हिरामन के आंखी च मकगे. नरोत्तम ल अपन तीर म बलइस. कहिस – नरोत्तम, तोर माइलोगन पढ़े – लिखे हवे. तंय अपन माईलोगन ल सरपंच चुनाव के फारम भरवा दे.
– मंय गरीब आदमी बबा, दूनों परानी मेहनत – मजदूरी करके घर – परिवार ल च लाथन. फेर गांव के सियानी कइसे अपन मुड़ म लेबो. घर के छानी फूटहा हे. पानी टपकथे. अपनेच छानी ल टपराये के मोर ताकत नई हे तब कइसे गांव भर के छानी ल टपरा सकत हंव.
– तोला अपन फुटहा छानी के चिंता हे ? इहां गांव भर के साबुत छानी घलोक निथरे लगही, ऐकर चिंता फिकर नई हे ?
– अइसे कइसे होही बबा, भला साबुत छानी कइसे निथरे लगही ?
समारू गुमशुम बइठे कुछ सोचे लगिस । ओकर दारू के निशा उतरे लगिस । फेर डगमगावत उठीस अउ कहे लगीस – हिरामन बबा सिरतोन कहत हे नरोत्तम …।
            समारू के बात ल सुनके खिलावन के संगे संग गांव वाले मन घलो अकबकागे. समारू अपना कहना जारी रखिस – तोर घर के छानी ले पानी टपकथे ता का होगे. गांव घर के सरपंच बनही त छानी छवा जाही अउ पानी के टपकना घला रूक जाही पर पराया के हाथ सियानी जाय म साबूत छानी ले पानी टपकना शुरू हो जाही ….। समारू जीवन ल देखके कहिस – कइसे जीवन, का मंय गलत कहत हंव ।
– बिलकुल गलत नई कहत हस संगवारी …। जीवन हर समारू के साथ देय लगीस. उंकर बात ल सुनके खिलावन के गुस्सा भड़के लगीस. पर करे त करे का ? गांव के जुरयाये लोगन के बीच फुटकार के ये थोरे कहय कि मंय तुम्मन ल तीन दिन ल दारू अइसने कहे बर पीयाय हंव रे. ओकरे फजीहत होतिस. मन मारके बइठे रहिस …।
– गांव के सियानी गांव च के हा कर ही तभे गांव म बिकास होही. दारू पीयाके जउन सियानी चाही, वो अपन बिकास ल सोच ही… कइसे समारू ? जीवन किहीस.
– सिरतोन कहत हस संगवारी …। समारू हुंकारू भरिस.
            खिलावन दू ठन आदमी पोसे रहिस, उही मन ओकर बिरोध म होगे. अब खिलावन ल लगे लगिस – ओकर पोलपटृी खुले के बेरा आगे. ओहर बइठा ले सलटे के जुगत म रहीस. समारू ओकर कर अइस. कहिस – कइसे खिलावन, तंय हमर बिचार ले सहमत हस नहीं ?
            खिलावन का कहे. चुप रिहीस. जीवन किहिस – अरे समारू, खिलावन का कहही. ये हमर गांव के मामला ये. हम ये माटी म जनमे, ये माटी म खेले कूदे हन. नानपन ले हमर तन अउ मन म ये माटी समाय हे. पराया ल पूछे के काबर ? निरनय हम्मन ल लेना हे. नरोत्तम घर के भउजी सरपंच बनही, मतलब उहिच बनही…।
– कइसे नरोत्तम, अब तोला का कहिना हे ? हिरामन कहिस.
– अब मंय का कहव बबा, गांव वाले न जउन चाहही उही होही.
            नरोत्तम के कथन म स्वीकृति रहिस. पहली थपड़ी जीवन पीटिस अउ फेर बइठका भर थपड़ी के आवाज म गूंजे लगिस. थपड़ी के आवाज खिलावन के कान के परदा चीरे लगीस. ओहर बइठका ठउर ले उठके अपन घर डहर च ल पड़िस, पर थपड़ी के गूंज ओकर कान के संग नई छोड़िस….।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें