मंगलवार, 12 जुलाई 2016

हाथ पसारे क्‍यों खड़े हैं

सुरेश सर्वेद

हमारे घर बड़े भइया आये
मुझे समझाये -
'' मैं फलां छाप में खड़ा हू
मैं तुमसे बड़ा हूं
अत: सपरिवार
वोट मुझे देना
आड़े हाथ मत लेना
मैंने कहा - भाई साहब,
आप मुझसे बड़े हैं
फिर हाथ पसारे
क्‍यों खड़े हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें