सोमवार, 7 मार्च 2016

और बारिस हो गई

सुरेश सर्वेद




     एक गांव में एक साधु आया। उसने घोषणा की कि आगामी दस वर्षों तक पानी नहीं गिरेगा। क्षेत्र में सूखा रहेगा। पानी नहीं गिरने से फसल नहीं होगी। ग्रामीण सकते में आ गये। वास्‍तव में बरसात के दिन होने के बाद भी पानी नहीं गिर रहा था। ग्रामीणों ने अपना हल अपने घर में ही रख दिया। और रोजी रोटी के लिए कहीं जाने की योजना बनाने लगे।
     एक किसान का बच्‍चा कागज का नाव बनाने लगा। बच्‍चे को कागज का नाव बनाते देख किसान ने कहा - बेटा, जब पानी ही नहीं गिरेगा तो यह नाव बनाकर क्‍या करेगा। किसान के बच्‍चा ने कहा - पिता जी, दस वर्ष बहुत लम्‍बा समय होता है। इतने दिनों तक मैं कागज का नाव बनना छोड़ दूंगा तो मैं नाव बनाना ही भूल जाउंगा।
     किसान ने सोचा - लड़का ठीक कहता है, वास्‍तव में दस वर्ष लम्‍बा समय होता है। इस अवधि में मैं हल नहीं चलाया तो हल चलाना भूल जाउंगा। उस किसान ने घर में रखे हल को निकाल खेत की ओर जाने लगा। ग्रामीणों ने देखा तो उसे पागल कहने लगा। तब उसने वही बात कही जो उसके बच्‍चा ने उससे कहा था। ग्रामीण सोचने लगे - इसका कहना सच है, हमें भी खेत जाना चाहिए।
     एक एक कर सभी किसान अपनी खेत की ओर हल बैल लेकर जाने लगे।
     इतने में बादल ने सोचा सच में दस वर्ष लम्‍बा समय होता है। यदि मैं छाना भूल गया तो, बदली छाने लगी। बिजली ने सोचा - यदि मैं चमकने भूल गयी तो। बिजली चमकने लगी, गर्जना ने सोचा यदि मैं गरजना भूल गया तो, वह गरजने लगा। वर्षा ने सोचा यदि मैं बरसना भूल गयी तो और जो से बारिस होने लगी। किसान वर्षा होते देख खुशी से नाच उठे।

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